Monday, August 02, 2010

बारिश का एक दिन

आज बारिश बहुत हो रही थी. तुम भीगते हुए पहुंची और कैफे के दरवाज़े पर मुझसे लगभग टकरा गयी.

मैं वहां खड़ा तुम्हे दूर से आते हुए देख रहा था.

बहुत सुन्दर लग रही थी तुम...

मन हुआ तुम्हारे बाजू पर स्माल पोक्स के टीके के निशान को चूम लूँ.

कैफे में मुझसे रहा नहीं गया. मैंने इधर-उधर देखा और हाथ बढाकर उस निशान को छू लिया.

तुमने फ़ौरन मेरा हाथ झटक दिया और बोली "शट अप".

"पर में तो कुछ बोला नहीं."

तुम बस मुस्कुरा दी. तुम्हारे चेहरे पर लाली उभर आई.

मैंने कहा: "शट अप बहुत बोलने लगी हो... क्या उसे भी शट अप कहती हो."

"नहीं उसे शट अप नहीं कहती क्यूंकि वो अच्छा है," तुम बोली.

एक लम्हा गुज़रा. और तुम फिर बोली:

"और तुम्हे शट अप इसलिए कहती हूँ क्यूंकि तुम मुझे बहुत अच्छे लगते हो..."